Thursday, November 30, 2023

आरती श्री अम्बा जी की || Arti Shri Amba Ji Ki

 

आरती श्री अम्बा जी की



आरती 

जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी  | 

 

तुमको निशदिन ध्यावत , हरी  ब्रह्मा शिवजी  | | जय अम्बे  | | 

 

मांग सिन्दूर विराजत , टीको मृगमद को  | 

 

उज्जवल से दोउ नयना , चन्द्र बदन  नीको  | | जय अम्बे  | |

 

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे  | 

 

रक्त पुष्प गल माला , कण्ठन  हार साजे  | | जय अम्बे  | |

 

केहरि वाहन  राजत, खड़ग खप्पर धारी  | 

 

सुर नर मुनि जन  सेवत , तिनके दुःख हारी  | | जय अम्बे  | |

 

कानन कुण्डल शोभित , नासाग्रे  मोती  | 

 

कोटिक चन्द्र दिवाकर , सम राजत  ज्योति  | | जय अम्बे  | |

 

शुम्भ - निशुम्भ विदारे , महिषासुर धाती  | 

 

धुम्र -विलोचन नयना निशदिन मदमाती   | | जय अम्बे  | |

 

चण्ड -मुण्ड सहारे, शोणित बीज हरे  | 

 

मधु कैटभ दोउ मारे , सुर -भयहीन करे  | | जय अम्बे  | |

 

ब्रह्माणी रुद्राणी , तुम कमला रानी  | 

 

आगम -निगम बखानी , तुम शिव पटरानी  | | जय अम्बे  | |

 

चौसठ योगिनी गावत , नृत्य भैरों  | 

 

बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू  | | जय अम्बे  | |

 

तुम ही जग की माता , तुम ही हो भरता  | 

 

भक्तन की दुःख  हरता , सुख सम्पति करता  | | जय अम्बे  | |

 

भुजा चार अति शोभित ,वर  - मुद्रा  धारी  | 

 

मनवांछित फल पावत , सेवत नर -नारी  | | जय अम्बे  | |

 

कंचन थाल  विराजत ,अगर कपूर  बाती  | 

 

मालकेतु में राजत , कोटि रतन ज्योति  | | जय अम्बे  | |

 

माँ अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावे | 

 

कहत शिवानंद स्वामी , सुख -सम्पति पावे   | | जय अम्बे  | |

 

 

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