Tuesday, December 5, 2023

आरती श्री कुंजबिहारी जी की || Arti Shri Kunjbihari Ji Ki

 

आरती श्री कुंजबिहारी जी की 

 

 

आरती 

 

आरती कुंजबिहारी जी की , गिरधर कृष्ण मुरारी की | 

 

गले में बैजन्ती माला , बजाये मुरली मधुर बाला | 

 

श्रवण में कुण्डल झल काला , नन्द के आनंद नन्द लाला | 

 

नैनन बीच , बसहि उर बीच , सुरतिआ रूप उजारि की | 

 

गिरधर कृष्ण मुरारी की , आरती कुंजबिहारी की | 

 

कनकमय मोर मुकुट विलसे , देवता दर्शन को तरसे | 

 

गगन से  सुमन बहुत बरसे बजत मुँह चंग और मृदंग ग्वालिनि संग | 

 

लाज रख गोप कुमारी की , गिरधर कृष्ण मुरारी की | 

 

आरती कुंजबिहारी की | | 

 

जहां ते प्रकटी है गंगा , कलुष कलि हरनी श्री गंगा | 

 

धरी शिव जटा के बीच , राधिका गौर श्याम पटछोर की | 

 

छवि निरखे बनबारी की , गिरधर कृष्ण मुरारी की |

 

आरती कुंजबिहारी की | |

 

चहुं दिखी गोप ग्वाल धेनु , बाज रही जमुना तट बेनु | 

 

हँसत मुख मंद , वरन सुख कंद वृन्दावन चंद , 

 

टेर सुनि लेउ भिखारी की | 

 

गिरधर कृष्ण मुरारी की , आरती कुंजबिहारी की | 

 

 

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