Wednesday, December 6, 2023

आरती श्री विश्वकर्मा जी की || Arti Shri Vishwakarma Ji Ki

 

आरती श्री विश्वकर्मा जी की 

 

 

 आरती 

 

ओइम जय श्री विश्वकर्मा , प्रभु जय श्री विश्वकर्मा | 

 

सकल सृष्टि के कर्ता , रक्षक श्रुति धर्मा | | ओइम | | 

 

आदि सृष्टि में विधि को , श्रुति उपदेश दिया | 

 

जीव मात्र का  जग में , ज्ञान विकास किया | | ओइम | |

 

ऋषि अंगिरा ने तप से , शांति नहीं पाई | 

 

ध्यान किया जब प्रभु का सकल सिद्धि आई | | ओइम | |

 

रोग ग्रस्त राजा ने जब आश्रय लीना | 

 

संकट - मोचन बन कर , दूर दुःख कीना | | ओइम | |

 

जब रथकार दम्पति , तुमकी टेर करि | 

 

सुनकर दीन प्रार्थना , विपत्ति हरी सगरी | | ओइम | |

 

 एकानन चतुरानन पंचानन राजे | 

 

द्विभुज , चतुर्भुज , दसभुज , सकल रूप साजे | | ओइम | | 

 

ध्यान धरे जब पद का , सकल सिद्धि आवे | 

 

सब दुविधा मिट जावे , अटल शांति पावे | | ओइम | |

 

श्री विश्वकर्मा जी की आरती , जो कोई नर गावे | 

 

कहत गजानंद स्वामी , सुख सम्पति पावे  | | ओइम | |

 

 

 

No comments:

Post a Comment