Saturday, December 9, 2023

Shiv Chalisa || शिव चालीसा

 

 

शिव चालीसा 

 

जै गणेश गिरिजा सुवन , मंगल मूल सुजान  | 

 

कहत अयोध्यादास  तुम , देऊ अभय वरदान  | | 

 

 
Shiv Chalisa
 

 

श्री शिव चालीसा

 

चो ० - जय गिरिजापति दीन दयाला , करत  सदा संतन  प्रतिपाला  | 

 

भाल चन्द्रमा सोहत नीके , कानन कुण्डल नागफनी के  | 

 

अंग गौर सिर गंग बहाये ,  मुण्डमाल तन छोर लगाए  |

 

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे , छवि को देख नाग मुनि सोहे  | 

 

 मैना मातु की हवे  दुलारी , बाम अंग  सोहत छवि न्यारी  | 

 

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी , करत सदा शत्रुन क्षयकारी  |

 

नंदी गणेश सोहें तहँ कैसे , सागर मध्य कमल है जैसे  | 

 

कार्तिक श्याम और गणराऊ , या छवि को कहि जात न काउ  | 

 

देवन जबहिं जाय पुकारा , तबहिं दुःख प्रभु आप निवारा  | 

 

किया उपद्रव तारक भारी , देवन सब मिली तुम्हीं जुहारी  | 

 

तुरत षडानन आप पठाउ , लव निमेष  महँ  मारि गिरायउ  | 

 

आम जलंधर असुर सहांरा , सुयश तुम्हार विदित संसारा  | 

 

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई , सबहि  कृपा कर लीन्ह  बचाई  | 

 

 किया तपहिं भगीरथ भारी , पुर प्रतिज्ञा तासु पुरारी  |

 

दानिन महँ  तम सम कोउ , नाही  सेवक  स्तुति करत  सदाहीं  | 

 

वेद नाम महिमा तब गाई , अकथ अनादि भेद नहीं पाई  | 

 

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला , जरत सुरासुर भये  विहाल  | 

 

कीन्ह दया तहँ करी सहाई , नीलकंठ तब नाम कहाई  | 

 

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा , जीत के लंक विभीषण दीन्ही  | 

 

सहस कमल में हो रहे धारी , कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी  |

 

एक कमल प्रभु राखेउ जोई , कमल नयन पूजन चहं  सोइ  | 

 

कठिन भक्ति देखि प्रभु शंकर , भये प्रसन दिए इच्छित वर  | 

 

जय जय जय अनंत अविनाशी , करहु कृपा घट घट वासी  | 

 

दुष्ट सकल नित मोहि सातावें , भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै  | 

 

त्राहि त्राहि में नाथ पुकारो, यही अवसर मोहि नाथ उबारो  | 

 

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो , संकट ते माहि आन उबारो  | 

 

मातु पिता भ्राता सब कोई , संकट में पूछत नहिं कोई  | 

 

स्वामी एक है आस तुम्हारी , आय हरहु अब संकट भारी  |

 

धन निरधन को देत सदाहीं , जो कोई जांचे सोइ फल पाहीं  | 

 

अस्तुति केहि विधि करो तुम्हारी , क्षमहु नाथ अब चूक हमारी  |

 

शंकर हो संकट के नाशन , मंगल मूरति विघ्न विनाशक  | 

 

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं , नारद शरद शीश नवावैं  | 

 

नमो नमो जै  नमो शिवाय , सुर ब्रह्मादिक पर न पाय  |

 

जो  यह पाठ करे मन लाई , ता पर होत  है शम्भू सहाई  | 

 

ऋनिया जो कोई हो अधिकारी , पाठ करे सो पावनहरी   | 

 

पुत्रहोण करी इच्छा जोई , निश्चय शिव प्रसाद तेहि होइ  | 

 

पंडित त्रयोदशी को लावै , ध्यान पूर्वक होम  करावै  | 

 

त्रयोदशी व्रत करे हमेशा , तन नहीं ताके रहे कलेशा  | 

 

धुप दीप नैवेद्य चढ़ावे , शंकर सन्मुख पाठ सुनावै  | 

 

जन्म जन्म के पाप नसावै , अंत वास शिवपुर में पावै  | 

 

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

 

सब दुखियो को आस तुम्हारी , जानि सकल दुःख हरहु हमारी | 

 

🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱

 

नित नेम कर प्रातः ही , पाठ चालीसा  | 

 

तुम मेरी मनोकामना , पूर्ण करो जगदीश | | 

 

मंगसर छठि हेमंत ऋतू , संवत चौसठ जान | 

 

स्तुति चालीसा शिवहिं पूर्ण कीन्ह कल्याण | | 

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

 

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

 

 

 

No comments:

Post a Comment