Thursday, November 21, 2024

श्री बृहस्पति देव की आरती | Shree Brihspati Dev Ji Ki Arti

  

श्री बृहस्पति देव की आरती 

 

 

गुरुवार आरती


ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।

छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा॥

॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी॥

॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।

सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता॥

॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।

प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े॥

॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।

पाप दोष सब हर्ता, भव बन्धन हारी॥

॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।

विषय विकार मिटाओ, सन्तन सुखकारी॥

॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

जो कोई आरती आपकी, प्रेम सहित गावे।

जेष्टानन्द आनंदकर, सो निश्चय पावे॥

॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

जो कोई आरती आपकी, प्रेम सहित गावे।

जेष्टानन्द आनंदकर, सो निश्चय पावे॥

सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।
बोलो वृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥

 

 

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