आरती श्री दुर्गा जी की
- माता दुर्गा की भक्ति करने तथा उनकी आरती करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है |माता दुर्गा को सर्वोपरि माना जाता है |
आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली , जय दुर्गे खप्पर वाली ,
तेरे ही गुण गावें भारती ,
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ,
तेरे जगत के भक्तजनों पर माता भीर पड़ी है भारी |
दानव दल पर टूट पड़ो माँ कर के सिंह सवारी |
सौ सौ सिंहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली ,
दुष्टों को तू ही संहारती | ओ मैया .......
माँ - बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता |
पूत - कपूत सुने हैं पर न माता सुनी कुमाता | |
सब पे करुणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली ,
दुखियों के दुखड़े निवारती | ओ मैया .......
नहीं मांगते धन और दौलत , न चांदी न सोना ,
हम तो मांगे तेरे चरणों में एक छोटा सा कोना |
सबकी बिगड़ी बनाने वाली , लाज बचाने वाली ,
सतियों के सत को संवारती |ओ मैया .......
चरण शरण मे खड़े तुम्हारी , ले पूजा की थाली ,
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली |
माँ भर दो भक्ति रस प्याली , अष्ट भुजाओं वाली ,
भक्तो के कारज तू ही सारती | ओ मैया.........
अगर आपको यह आरती अच्छी लगी हो तो -
पोस्ट को लाइक करे अथवा शेयर करे |
No comments:
Post a Comment