Monday, November 27, 2023

श्री सालासर बालाजी की आरती || SHRI SALASAR BALAJI KI AARTI

 

श्री सालासर बालाजी की आरती

 

 
 

 

जयति जय जय बजरंग बाला, कृपा कर सालासर वाला | टेक | 

 

चैत सुदी पूनम को जन्मे, अंजनी पवन ख़ुशी मन में |

 

प्रकट भय सुर वानर तन में, विदित यस विक्रम त्रिभुवन में |

दूध पीवत स्तन मात के, नजर गई नभ ओर |

तब जननी की गोद से पहुंचे, उदयाचल पर भोर |

अरुण फल लखि रवि मुख डाला || कृपा कर.... || 

 

तिमिर भूमण्डल में छाई, चिबुक पर इन्द्र वज्र बाए |

तभी से हनुमत कहलाए, द्वय हनुमान नाम पाये |

उस अवसर में रुक गयो, पवन सर्व उन्चास |

इधर हो गयो अन्धकार, उत रुक्यो विश्व को श्वास |

भये ब्रह्मादिक बेहाला || कृपा कर.... ||                 


देव सब आये तुम्हारे आगे,  सकल मिल विनय करन लागे |

पवन कू भी लाए सागे, क्रोध सब पवन तना भागे |

सभी देवता वर दियो, अरज करी कर जोड़ |

सुनके सबकी अरज गरज, लखि दिया रवि को छोड़ |

हो गया जगमें उजियाला || कृपा कर.... ||             

 

रहे सुग्रीव पास जाई, आ गये बनमें रघुराई |

हरि रावण सीतामाई, विकल फिरते दोनों भाई |

विप्र रूप धरि राम को, कहा आप सब हाल |

कपि पति से करवाई मित्रता, मार दिया कपि बाल |

दुःख सुग्रीव तना टाला || कृपा कर.... ||                

 

आज्ञा ले रघुपति की धाया, लंक में सिन्धु लाँघ आया |

हाल सीता का लख पाया, मुद्रिका दे बनफल खाया |

बन विध्वंस दशकंध सुत, वध कर लंक जलाया |

चूड़ामणि सन्देश सिया का, दिया राम को आय |

हुए खुश त्रिभुवन भूपाला || कृपा कर.... ||             

 

जोड़ कपि दल रघुवर चाला, कटक हित सिन्धु बांध डाला |

युद्ध रच दीन्हा विकराला, कियो राक्षस कुल पैमाला |

लक्ष्मण को शक्ति लगी, लायौ गिरी उठाय |

देई संजीवन लखन जियाये, रघुवर हर्ष सवाय |

गरब सब रावन का गाला || कृपा कर.... ||           

 

रची अहिरावन ने माया, सोवते राम लखन लाया |

बने वहाँ देवी की काया, करने को अपना चित चाया |

अहिरावन रावन हत्यौ, फेर हाथ को हाथ ||

मन्त्र विभीषण पाय आप को | हो गयो लंका नाथ |

खुल गया करमा का ताला || कृपा कर.... ||          

 

अयोध्या राम राज्य कीना, आपको दास बना लीना |

अतुल बल घृत सिन्दूर दीना, लसत तन रूप रंग भीना |

चिरंजीव प्रभु ने कियो, जग में दियो पुजाय |

जो कोई निश्चय कर के ध्यावै, ताकी करो सहाय |

कष्ट सब भक्तन का टाला || कृपा कर.... ||         

 

भक्तजन चरण कमल सेवे, जात आय सालासर देवे |

ध्वजा नारियल भोग देवे, मनोरथ सिद्धि कर लेवे |

कारज सारो भक्त के, सदा करो कल्यान |

विप्र निवासी लक्ष्मणगढ़ के, बालकृष्ण धर ध्यान |

नाम की जपे सदा माला, कृपा कर सालासर वाला || 

 

 

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