आरती श्री हनुमान जी की
(मंगलवार की आरती )
आरती
आरती कीजै हनुमान लला की |
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||आरती||
जाके बल से गिरिवर कांपे |
रोगदोष जाके निकट न झाँपे ||आरती||
अंजनी पुत्र महा बलदाई |
संतन के प्रभु सदा सहाई ||आरती||
दे बीरा रघुनाथ पठाये |
लंका जारि सीय सुधि लाये ||आरती||
लंका सो कोट समुद्र सी खाई |
जात पवनसुत बार न लाई ||आरती||
लंका जारि असुर संहारे |
सियारामजी के काज सँवारे ||आरती||
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारा |
आनि संजीवनी प्राण उबारे ||आरती||
पैठि पाताल तोरी जम-कारे |
अहिरावण की भुजा उखारे ||आरती||
बायीं भुजा असुरदल मारे |
दाहिनी भुजा संतजन तारे ||आरती||
सुर नर मुनि आरती उतारें |
जय जय जय हनुमान उचारे ||आरती||
कंचन थार कपूर लौ छाई |
आरती करत अंजना माई ||आरती||
जो हनुमान जी की आरती गावे|
बसि बैकुंठ परम पद पावे ||आरती||
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