गायत्री महामंत्र
( हिंदी अनुवाद )
गायत्री मंत्र के
उच्चारण करने से मानसिक तथा शारीरिक विकार कम होते है और नकारत्मकता दूर
रहती है, लेकिन सिर्फ उच्चारण करने से ही बात नहीं बनेगी, इसके लिए आपको गायत्री मंत्र के अर्थ का भी ज्ञान होना आवश्यक है, कई बार ऐसा होता है लोगों मंत्र तो याद रह जाता है पर इसका भाव याद नहीं रहता।
आइए गायत्री मंत्र का अर्थ जानते हैं -
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य
धीमहि धियो योन: प्रचोदयात्:
अर्थ
- उस प्राण स्वरुप दुःखनाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव
स्वरूप परमात्मा को हम अंतरमन में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को
सन्मार्ग में प्रेरित करें।
शब्द अर्थ-
ॐ - सर्व रक्षक परमात्मा
भू: - प्राणो से प्यारा
र्भुव: - दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः - सुख़ प्रदान करने वाला
तत - उस
सवितु: - सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं - देव के
भर्गो - वरने योग्य
देवस्य - प्रभु
धीमहि - हम ध्यान करे
धियो - बुद्धि को
यो - जो
नः - हमारी
प्रचोदयात् - हमें प्रेरित करें ( शक्ति दें)
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य
धीमहि धियो योन: प्रचोदयात्:
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