Tuesday, December 12, 2023

संकटमोचन हनुमानाष्टक || Sankatmochan Hanumanashtak


 संकटमोचन हनुमानाष्टक 




बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों I 

 
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात  न टारो I 

 
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़िं दियो रबि कष्ट निवारो I 

 
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो I को - १

 
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो I

 

चौंकि महामुनि साप दियो तब , चाहिए कौन बिचार बिचारो I


कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो I को - २


अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो I


जीवत ना बचिहौ हम सो  जु , बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो I


हेरी थके तट सिन्धु सबे तब , लाए सिया-सुधि प्राण उबारो I  को - ३


रावण त्रास दई सिय को सब , राक्षसी सों कहि सोक निवारो I


ताहि समय हनुमान महाप्रभु , जाए महा रजनीचर मारो I


चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो Iको - ४


बान लाग्यो उर लछिमन के तब , प्रान तजे सुत रावन मारो I


लै गृह बैद्य सुषेन समेत , तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो I


आनि सजीवन हाथ दई तब , लछिमन के तुम प्रान उबारो I को - ५


रावन जुध अजान कियो तब , नाग कि फाँस सबै सिर डारो I


श्री रघुनाथ समेत सबै दल , मोह भयो यह संकट भारो I


आनि खगेस तबै हनुमान जु , बंधन काटि सुत्रास निवारो I  को - ६


बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो I


देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि , देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो I


जाये सहाए भयो तब ही , अहिरावन सैन्य समेत संहारो I को - ७


काज किये बड़ देवन के तुम , बीर महाप्रभु देखि बिचारो I


कौन सो संकट मोर गरीब को , जो तुमसे नहिं जात है टारो I


बेगि हरो हनुमान महाप्रभु , जो कछु संकट होए हमारो I  को - ८ 
 

  

 

|| दोहा || 

  
लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर I 

 

 वज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर II


 

 

No comments:

Post a Comment