Wednesday, October 11, 2023

सत्यनारायण जी की आरती - Satya Narayan Ji Ki Arti

  

सत्यनारायण जी की आरती 

 


-सत्यनारायण भगवान जी को विष्णु जी का एक रूप माना जाता हैं |

 

आरती 

 

जय श्री लक्ष्मी रमणा , जय श्री लक्ष्मी रमणा  |


सत्यनारायण स्वामी , जन-पाताक-हरणा  | | जय | |

 
रत्न जटित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे |


नारद करत निराजन, घण्टा , ध्वनि बाजे | | जय | |

 
प्रकट भये कलिकारन , द्विज को दरशन दियो  |

 
बूढ़ो, ब्राह्मण बनके, कंचन महल कियो  | | जय | |

 
दुर्बल भील कराल , जिन पर कृपा करी |

 
चंद्रचूड़ एक राजा तिनकी विपत्ति हरी | | जय | |

 
वैश्य मनोरथ पाया , श्रद्धा ताज दीन्ही |

 
सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर आसुति कीन्ही | | जय | |

 
भाव-भक्ति के कारण, छिन -छिन रूप धरयो |

 
श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो | | जय | |

 
ग्वाल - बाल संग राजा, बन में भक्ति करी |

 
मनवांछित फल दीन्हो , दीनदयालु हरी | | जय | |

 
चढ़त प्रसाद सवाओ , कदली फल मेवा |

 
धूप दीप तुलसी से, राजी सत्यदेवा | | जय | |

 
श्री सत्यनारायण जी  की, आरती जो कोई नर गावे |

 
भगतदास मनवांछित सुखसम्पति पावे | | जय | |




इस  आरती के द्वारा सत्यनारायण जी की स्तुति की जाती है  |




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